लखनऊ में डेंगू पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, स्वास्थ्य विभाग ने गिरफ्तार किए 550 मच्छर

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लखनऊ में डेंगू पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, स्वास्थ्य विभाग ने गिरफ्तार किए 550 मच्छरडेंगू का डंक

लखनऊ। डेंगू से राजधानी में 135 मौतें क्या हुईं स्वास्थ्य विभाग ने 550 मच्छरों का अरेस्ट वारंट जारी कर गिरफ्तार कर लिया।

बीतें कुछ महिनों से डेंगू से होने वाली मौतों ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा रखी है। हाई कोर्ट की फटकार के बाद स्वास्थ्य विभाग के आलाधिकारियों ने पुलिस वालों की तरह मच्छरों को गिरफ्तार करने का काम शुरू कर दिया है। और मजे की बात यह है कल तक उन्होंने 550 मच्छरों को गिरफ्तार कर सजाए मौत दे दी है।

दिन में काटने और रात को सोने वाले एडीज मच्छरों को पकड़ने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने मच्छरपकड़ टीम भी बनाई है जो मच्छरों की धरपकड़ ठीक उसी तरह कर रहा है जैसा की शातिर अपराधियों की होती है। विभाग ने उन सभी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया है जहां शातिर एडीज मच्छरों ने कहर ढा रखा था।

रात में ही पकड़े जा सकते हैं एडीज मच्छर

इंसेक्ट क्लेक्टर ने बताया डेंगू के मच्छर को रात में ही पकड़ा जा सकता है। क्योंकि वह दिन में एक्टिव रहता है और रात में सोता है ऐसे में रात में उसको पकड़ना आसान हो जाता है। इसे पकड़ने के लिए रात में हम लोग निकलते हैं। अंधेरे में टार्च जला देते हैं, टार्च जलाते ही मच्छर रोशनी में एक्टिव होकर भिनभिनाने लगाता है और हम एक टेस्ट टयूब वहां पर ले जाकर जोर से हवा अन्दर को भरते हैं। इससे एक बार में चार से पांच मच्छर अन्दर आ जातें है। नगर मलेरिया अधिकारी एपी सिंह ने बताया कि इससे काफी हद तक डेगू को कंट्रोल किया जा सकता है।

स्वास्थ्य विभाग के ताजा आकड़ों के अनुसार सोमवार तक 14 मौतें हुई हैं जबकि लखनऊ में डेंगू से होने वाली मौतों का आकड़ा 135 पर पहुंच गया है।

कर्मचारियों की छुट्टी कैंसिल

प्रमुख सचिव अरुण कुमार सिन्हा ने निर्देश दिए कि अवकाश दिवसों में अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों एवं अन्य आवश्यक कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित होनी चाहिए। विशेष परिस्थितियों को छोड़कर किसी भी कर्मी को छुट्टी न दी जाए। अस्पतालों में दवाइयों की कमी नहीं होनी चाहिए। बुखार से पीड़ित मरीजों के इलाज में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को खासतौर से यह भी निर्देश दिए हैं कि अवकाश दिवसों में अस्पतालों का औचक निरीक्षण करें और चिकित्सा व्यवस्था को चाक-चैबंद बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।

     

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